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"मेला / नंदकिशोर शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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01:43, 2 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

चल गे छोटकी मेला देखबै, बच्चा छोड़ अकेला देखबै
धक्कम-धुक्का पिस्सम-पिस्सी, भीड़ के रेलम-रेला देखबै।

बाजा-गाजा बत्ती देखबै, झालर मोती लत्ती देखबै
तरह-तरह के फोकना-फोफी, पोस्टर रत्ती-रत्ती देखबै
बड़का-छोटका मोटका-मोटकी, सबके ठेलम ठेला देखबै
चल गे छोटकी मेला देखबै, बच्चा छोड़ अकेला देखबै।

देखीं लड़की चश्मा वाली, जिन्स पैन्ट में छोटकी साली
झटकल जाय छै नेंगड़ी बुढ़िया, बुढ़वा दै छै केकरो गाली
भीड़मार के अफरा-तफरी, ताबरतोर झमेला देखवै
चल गे छोटकी मेला देखबै, बच्चा छोड़ अकेला देखबै।

गोड़का संग मंे करकी देखीं, बिना दुपट्टा लड़की देखीं
सीटी मारनें चलै लफंगा, पुलिस के झुट्ठे भभकी देखीं
रंग-छंग के कपड़ा लत्ता, ढंग तनी अलबेला देखवै
चल गे छोटकी मेला देखबै, बच्चा छोड़ अकेला देखबै।

बरफी टिकड़ी जोरा खैवै, बड़का तीन कचौड़ा खैवै
तित्ता कचड़ी-घुघनी, झिलिया, मूढ़ी पाँच कटोरा खैवै
तीन रूपा के दस कुरकुरिया, चलैं मिसरिया केला देखवै
चल गे छोटकी मेला देखबै, बच्चा छोड़ अकेला देखबै।

नानी काकी मिलती मइयो, ऐतौ फेर ममियां भौजइयो
सब कोय मिल केय् झौहर करिहैं, गल्ला मिल रसाइये कांन्हिहैं
किन्हिंहैं चौकला, वेलना, बैठी, उखड़ी चौखट चेला देखबै
चल गे छोटकी मेला देखबै, बच्चा छोड़ अकेला देखबै।

लटकन तोंय नकमुन्ना लेय् ले, बुतरू लेय् झुनझुन्ना लेय् ले
जब तक छौ पेस बटुआ में, एक के कहतौ दुन्ना लेय् ले
तरह-तरह के चीज बिकै छै पैसा पर सब मेला देखबै
चल गे छोटकी मेला देखबै, बच्चा छोड़ अकेला देखबै।

बिजली के खड़खड़िया चढ़वै, मोटर ऊ सरसरिया चढ़वै
हावा जैंसन घूमै घोड़ा दोनों जिव एकबेरिया चढ़वै
देह दरद या माथा चक्कर बेला भेल कुबेला देखवै
चल गे छोटकी मेला देखबै, बच्चा छोड़ अकेला देखबै।

बड़का झुलवा पर हम चढ़वै, घुमनी लगतै तब की करवै
टिकटिकिया पर चढ़वे करवै, फेरो तेरेय् बेर ओछड़वै
हम्मर हांथ पकड़िहैं धानी, तोरा पकड़नें खेला देखवै
चल गे छोटकी मेला देखबै, बच्चा छोड़ अकेला देखबै।

थेटर देखवै सरकस देखवै, एकबार की दस दस देखबै
कुइयां में नाचे फटफटिया, देह में आगिन बेबस देखबै
पेट के खातिर ई जिनगी के सौंसे धरम-धकेला देखबै
चल गे छोटकी मेला देखबै, बच्चा छोड़ अकेला देखबै।

टिकट कटाय केय् बानर देखबै, कैसन दुनियां आन्हर देखबै
जीव-जन्तु नचबाबै वाला, डुगडुग्गी के तान अर देखबै
बोल चाल चौरंगी दुनियाँ, सभ्भे गुरु नै चेला देखबै
चल गे छोटकी मेला देखबै, बच्चा छोड़ अकेला देखबै।

ई जिनगी भी मेला छोटकी, बस पैसा के खेला छोटकी
उलट-पुलट पैसा कौड़ी पर, झलकै सकल झमेला छोटकी
मूक बधिर बिन पैसा बाला, भिखमंगा के ठेला देखवै
चल गे छोटकी मेला देखबै, बच्चा छोड़ अकेला देखबै।

मेला सन माया के नगरी, जहर भरल सोना के गगरी
जे मन केय् दौड़ाबै ज्यादा, आगु पीछू मारै लंगड़ी
मन केय् आब समेटें छोटकी, सब ईश्वर के खेला देखबै
चल गे छोटकी मेला देखबै, बच्चा छोड़ अकेला देखबै।