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हम गेलौं दुआर-दुआर बलमुआँ ठामे-ठाम।
ई नगरी में भरम बसेरा, लोभ मोह चहुओर
काम क्रोध भेल संगी साथी, धरम भेल बदनाम
बलमुआँ ठामे-ठाम।
मंदिर-मंदिर जल अर्पण अरू, पिण्ड-पिण्ड फुलपान
तनिक न पैलों शान्ति कि दौड़ल गेलौं जनकपुरधाम
बलमुआँ ठामे-ठाम।
काशी-प्रयाग सकलमठ घुमलौं जिया न पैलक ठोर
नाची रहल तृष्णा घट भीतर शान्ति न सुबहो-शाम
बलमुआँ ठामे-ठाम।
तीरथ धाम सें ऊबल जियरा करै पंथ हरहोर
चंचल चित चहुओर निहारे, शान्ति बसै सतनाम
बलमुआँ ठामे-ठाम।
परमेश्वर सबके घट भीतर सद्गुरु भेद बतावै
सत्मारग निज आत्म बतावै जीवन ललित ललमा
बलमुआँ ठामे-ठाम।