भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जोॅनमजूर / पतझड़ / श्रीउमेश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीउमेश |अनुवादक= |संग्रह=पतझड़ /...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

02:48, 2 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

दुपहरियां कामोॅ सें छुटलै, जोॅन-मजूरा ऐलोॅ छै।
सभ्भै के एक्के छाया छै, सबटा यहीं समैलोॅ छै॥
जान उपेखी काम करैछै, देखलाबै मरदानी छै।
लेकिन यहाँ खेसाड़ी के सतुआ में ढारै पानी छै॥
आपनें सतुआ धोरै छै जनता केॅ भात खिलावै छै।
एन्हैं तपसी मजदूरें जनता केॅ स्वर्ग देखाबै छै॥
खाय पिबेकेॅ लैटीकेॅ, खैनी में चून बघारै छै।
बेरा होला पर उमंगी केॅ पैनोॅ बैल सँभारै छै॥