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"रोपनी / पतझड़ / श्रीउमेश" के अवतरणों में अंतर

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02:51, 2 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

आबै नै छै धूप कहीं, नै गरमी के कड़कड़िया रौद।
ताल-तलैया भरी गलोॅ छै, भरलोॅ छै पानी सें हौद॥
तृप्त भेॅ गेलै गाछ-गछैली, हरा भरा होलै संसार।
गैलोॅ गेलै मुक्त कंठ सें, बारहमासा-देस-मल्हार॥
हमरा बगलोॅ के खेतोॅ में रोपनी गाबेॅ लागत गीत।
ढंठवाहा-बीहनवाहा के उमगी उठलै पिछला प्रीत॥