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उसे मरने का कॉपीराइट चाहिए
वो नहीं चाहती
कि
उसकी मौत कोई और मरे
वो खुद जी नहीं पाई है आज तक
अपनी ज़िंदगी
इसलिए भी चाहती है
कि
कम से कम
मरे तो अपनी मर्ज़ी से
वो चाहती है
जिस दिन हो सबकी छुट्टी
सब हों अपनी-अपनी दुनिया में मगन
तो वो चली जाए
इस दुनिया से
जिन्हें उसके जीते रहने से
कोई फ़रक नहीं पड़ता
उन्हें उसके मरने से भी फ़रक न पड़े
वो मर जाए
खुले आकाश के नीचे
खा जाएँ उसे कौए और गिद्ध
कोई अवशेष न रहे पीछे
किसी की आँखों में नहीं अटके
उसके लिए कोई आँसू
सारा सैलाब
वो खुद बहा ले जाए
लोग लौटे छुट्टी मनाकर
और फिर
दूसरे दिन
चले जाएँ
अपने-अपने काम पर
जैसे रोज़ जाते हैं।