भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"छम्मो / हरीशचन्द्र पाण्डे" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीशचन्द्र पाण्डे |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

04:39, 5 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

यह एक चितकबरी बिल्ली का नाम है

पेट ऊर काली है यह
पेट नीचे सफे़द

छम्मो गुज़रती है
खिले गुलाब के पौधे की बग़ल से
रंग दो से चार हो जाते हैं

ज़मीन का रंग इन सबमें
साड़ी की ज़मीन का काम करता है

एक विशाल नीले
चँदोबे के तले चल रही है छम्मो
एक गेहुआँ आदमी देख रहा है
छम्मो को मटकते जाते

छम्मो का क्या भरोसा
कहाँ चली जाय। कूदते-फाँदते-मटकते
भूमध्य से धु्रवों तक
कहाँ से कह दे, ‘म्याऊँ’

जो जाएगी भूमध्य की ओर
तो काला हो जाएगा पीछा करता गेहुआँ आदमी
और जो सुदूर उत्तर-दक्खिन गयी
गोरा हो जाएगा

छम्मो एक साथ लिये है दोनों रंग
उसे सभ्य कहूँ
या असभ्य?