भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"स्टिल-बॉर्न बेबी / सुशान्त सुप्रिय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुशान्त सुप्रिय |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

06:11, 5 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

वह जैसे
रात के आईने में
हल्का-सा चमक कर
हमेशा के लिए बुझ गया
एक जुगनू थी

वह जैसे
सूरज के चेहरे से
लिपटी हुई
धुँध थी

वह जैसे
उँगलियों के बीच में से
फिसल कर झरती हुई रेत थी

वह जैसे
सितारों को थामने वाली
आकाश-गंगा थी

वह जैसे
ख़ज़ाने से लदा हुआ
एक डूब गया
समुद्री-जहाज़ थी
जिसकी चाहत में
समुद्री-डाकू
पागल हो जाते थे

वह जैसे
कीचड़ में मुरझा गया
अधखिला नीला कमल थी...