भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जानत नाहि / शब्द प्रकाश / धरनीदास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धरनीदास |अनुवादक= |संग्रह=शब्द प्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:01, 21 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

जानत नाहिन देव देवाइ, न पाँच पँडाइनिको सुमझौवा।
जानत नाहि न वेद मता, गति नेम अचार सकार नहौवा॥
धरनी नट नाटक चाटक त्राटक तान तनों नहि ज्ञान कथौवा।
मानत है मन साधुकि संगति, जानत है एक राम रमौवा॥19॥