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"अलिफनामा (रेखता) / शब्द प्रकाश / धरनीदास" के अवतरणों में अंतर

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22:46, 21 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

अलिफ अकेला साहेब वोही। अव्वल आखिर जाकर देही॥
अब पहिचानो अपने ताँई। अलबत्ता मिलि है गोसाँई॥1॥

बे शहूर कछु त्रास न आवै। बेख विसारि सखा कैह धावै॥
बेदिमाग नहि हूजै भाई। बेजा गारी वहुरि सजाई॥2॥

ते तालीम सुरति करु ताला। तेरी चोटी पकरे काला॥
ते ते गये सदर सर्दारा। तेरा मेरा कौन शुमारा॥3॥

शेख कहाया भेष बनाया। सेली सींगी काँख लगाया॥
सेर चून का झगड़ा ठाना। सो जालिम साहेब क्या जाना॥4॥

जिन पह आदम सूरत बनाई। जीनत धर हर रोज बढ़ाई॥
जीभ स्वाद जो दर्द विसारी। जीतो नहि हारो हर बारी॥5॥

हेचकार दुनिया के जाल। हेरि पकरु मुर्शिद दरहाल॥
हेरा छोड़ै हक पहिचाहै। हेठ न आवे रहै ठिकाने॥6॥

खेत छोड़ि जनि भागु दिवाने। खेत चढ़े दिल करु मर्दाने॥
खेल संभारो धरु अवसान। खेत कौन है यहै जहान॥7॥

दावा बड़ा लगा यहि पारी। दगा करो मत कौल विसारी॥
दारुलाय जो दर्द मिटै हो। दावा वहुरि न ऐसो पैहो॥8॥

जीनत जेब जैबाइश चंगी। जात कछू नहि देर दुरंगी॥
जाहिर करु तासाँे अखलास। जाहिर कर जो बन्द खलास॥9॥

रे बन्दा रहना है थोरा। रेजा रेजा है तनजोरा॥
रैयत ही वनि रहै निदान। रे यारो समझो मति आन॥10॥

जो नहि दलिका मलिक जाना। जो नहि पकड़ा ठोर ठिकाना॥
जो नहि जानै पीर पराई। जेर दस्त पुनि आवै जाई॥11॥

सिरजनहार वही कर्त्तारा। सिज्दा करिये हरदम यारा॥
सीना जोरी मत कर बन्दे। सितमी बहुरि पड़ैगा फन्दे॥12॥

शिर दीजै साहेब के काम। सिफत करैगा खलक तमाम॥
सीने अन्दर भई सफाई। सिरका भार उतरिगा भाई॥13॥

साँच पियाला जाके होई सलिम बाजी जीतै सोई॥
शकिर हो मुनकिर विसरावै। सानी हाल अजार न पावै॥14॥

जाके मिले पीर महबूब। जाके हिये अकीदा खूब॥
जाके दिल दो दिल नहि रहता। जाय बहिश्त धरनि है कहता॥15॥

तेरा क्या है इसमें अन्धा। ता दिन गिरह न आवा बन्धा॥
तेल पान, घर, घोड़ा बागा। तेरह तरफ तमाशा लागा॥16॥

जेते पढ़ 2 नाही जाने। जेर भये आखिर पछिताने॥
जेर ताहिका भया फरिश्ता। जाके नीचे सकल सरिश्ता॥17॥

अजब शबीह सुरत है एक। अजब भये जिन पकड़ी टेक॥
अजब लखे बाजे तन कोई। अपनी अकल मिलै नहि सोई॥18॥

गहना कौल करार तुम्हारा। गरम निकरि हवै रहे गँवारा॥
गैर हिसाब वहाँ नहिँ होई। गनी गरीब सुनो सब कोई॥19॥

फेर फार अब मत कर कोई। फेर फजीहत होगी सोई॥
फेरि फेरि धरनी समुझावै। फोन पकरि कोइ पान न जावै॥20॥

कलबूती एक पिंजर ऐसा। काम करै गैबी एक बैसा॥
कायम दायम कबहि न मरै। कामिल सो जो वाको धरै॥21॥

काजी मोल ना पढ़ि 2 हारे। का जानेँ बेखबर बिचारे॥
कादिर दे कम अकली जाके। काम तमाम बनैगा ताके॥22॥

लाभकान ले जिय 2 पाया। लाम काफ सब दूर बहाया॥
लाल माल दिल अन्दर जाके। लाल नूर मुख जाहिर ताके॥23॥

मिलता मरहम पर्दा फारी। मवीका वासन दिन चारी॥
मिलि 2 पहुँचे मंजिल केते। मीर पी पैगम्बर जेते॥24॥

नूरी एक और सब खाकी। नूर बिना को करे बेबाकी॥
नूर महल में जो रस चाखे। नुस्ख पढ़ 2 झूठ न माखे॥25॥

वाकी कुदरत वाकी जाने। वाका रंग कोन पहिचाने॥
वाह-वाह वाहिद का नाँव। वाकी में कुर्बानी जाव॥26॥

हेत मिले नमाज ना रोजे। हेर पकर बन्दे दिल खोजे॥
हेरो आप नमाज ना रोजे। हेचकार हो रहे आलूदा॥27॥

लाय अकीदा बालेखाने। लाजिम है मत फिरो भुलाने॥
लाफिका सोइ साहेब कहिये। ला तामा नहि तासो रहिये॥28॥

अब तक गई सो बहुरि न आवे। अबहू आपन मन ठहरावे॥
अब तो बह कर जीवके खून। अपना कर जाने बेचना॥29॥

हँसी मसखरी जानते अन्धे। हर सयत लागे जगधन्ने॥
हक हलाल हमेश चाखो-। हजकी हाजत दिल मत राखो॥30॥

एकतिस हरफ एक अल्लाह। एही बारी मोहि राखु पनाह॥
एतना धरनी दास पुकारा। ए साहेब सिरताज हमारा॥31॥

हर्फ रदीफा पढै सब कोई। माने बूझै मोलना सोई॥
माने बूझि मनहि ठहरावै। ताहि बहिश्त इहाँ चलि आवै॥32॥