भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"साँपिन डगर / श्याम सुन्दर घोष" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम सुन्दर घोष |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaR...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
तरबन्ना सें होय केॅ आबै छै साँपिन डगर, | तरबन्ना सें होय केॅ आबै छै साँपिन डगर, | ||
की कभी ओकरा पर तोहरोॅ ठहरलोॅ छौं नजर ? | की कभी ओकरा पर तोहरोॅ ठहरलोॅ छौं नजर ? | ||
− | + | ऊ साकार कविता छेकै अद्भुत छै ओकरोॅ छन्द, | |
एक-एक मोड़ छेकै एकरोॅ स्टेंजा आकि अलग-अलग बंद। | एक-एक मोड़ छेकै एकरोॅ स्टेंजा आकि अलग-अलग बंद। | ||
एक-एक भ$ाड़-विरिछ कोमा-सेमिकाॅलन छेकै, | एक-एक भ$ाड़-विरिछ कोमा-सेमिकाॅलन छेकै, |
03:34, 29 जुलाई 2016 का अवतरण
तरबन्ना सें होय केॅ आबै छै साँपिन डगर,
की कभी ओकरा पर तोहरोॅ ठहरलोॅ छौं नजर ?
ऊ साकार कविता छेकै अद्भुत छै ओकरोॅ छन्द,
एक-एक मोड़ छेकै एकरोॅ स्टेंजा आकि अलग-अलग बंद।
एक-एक भ$ाड़-विरिछ कोमा-सेमिकाॅलन छेकै,
कहीं-कहीं पर छै टौप या सीधा फुलस्टाप।
कंकड़ छै, बालू छै, छै कमसिन धूल,
अगल-बगल फूल-पात कहीं-कहीं फूल।