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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हाय नारायण जुलुम बीतैय
कखनी संझा बेर जे हेतै
साँझ पड़लै डाकू चुहर के
छौड़ी नटिनियाँ भागि तऽ गेलै
सबे समान सिरकीमे लऽ गयलै
तबे नटिनियाँ दादा के कहैय
पहरा केलऽ चन्द्रा कोहबर
सबे समान चन्द्रा के देखलऽ
से गिनिये गिनिये समानमा स्वामी
देखि लिअ यै
एकोटा समान स्वामी छुटि जे जयतै
बात कुल्हेसर नइ जे मानतै
एत्ते जवाब नटिनियाँ दैये
सबे समान दादा सलहेस देखैय
देख-देख के मोटा बन्हैय
मोटा बान्हिके सिरकी रखैय हौ।।