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"मेलबा घुमैलय चुहरा चललै / मैथिली लोकगीत" के अवतरणों में अंतर

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मेलबा घुमैलय चुहरा चललै
साथमे छौड़ा पलटन के लइये
सोना तिजोड़ी काँख लगौलकै
छौड़ी मालीन पर नजरि पड़ि गेल
मने मन चुहर सोचै छै
बहुत मालीन हम देखलीयै
एहेन हम तमोलीन ने देखलीयै
दौड़ल चुहरा एलै चौबटिआ
तखनी नजरि मालिन के पड़िगेल
लट छिटकौने मलिनियाँ बैठल
रचि-रचि पान लगाबै
जादू के खिल्ली पान लगाबै
जादू के जर्दा पानमे मिलाबै छै
हा जादू के कत्था पानमे दै छै
रचि रचि पान तमोलिन जखनी लगा देलकै यौ।
चुहरा आबै छै पनमा दोकानमे
पहिल नजरि तमोलीन भर दै छै
रूप निङहारै तमोलीन के
मुँह के मुश्की तमोलीन बोलैय
बात-बातमे पान खाइये
पान उठा चुहरा जे खाइये
पान खैलकै जादू चुहरा
नशा अबै छै डाकू चुहर के
चुहरा चौबटिया गिरै छै
तब मलीनियाँ बोलै छै
सुन ले हौ सुनि ले सुनि ले स्वामी
दोसर जाँच हौ बेइमनमा लगै छह
आब चुहरा भागि कऽ जेतऽ
भागल चुहरा नै हाथ से लागतऽ
कसि कसि बान्ह चुहर के बान्है छी
सत के बान्ह जादू के बान्हि
मनचित राम पर चुहर के लाधै छै
लाधल चुहरा पकरिा चललै
चोट मोट लऽकऽ मलीनियाँ चललै
फेर मलीनियाँ नटनियाँ बनलै
लऽकऽ मलीनियाँ सिमरिया जुमिले
तब मलीनियाँ अरजी करैय
सुनि ले मैया गंगा सुनिले
छियै सतबरती मलीनियाँ बेटी
हमरे हाथ से फूल जाइ छै
घर-घर फूल मलीया दै छै
हमरे तोड़ल फूल लऽकऽ।
पूजा तोहर होइये।
स्वामी जी के भेलै जमानत
कोरा कागजमे छाप लगेलीयै
सात दिन के हफ्ता लेलीयै
चोर ने बन्हैते मोकमागढ़मे
जुर्माना राजा जे लेतै
नाम हँसी गंगा तोहर हेतौ
केना कऽ सतबा ये मैया किया बचतै गै।।
गै सत बचा मैया गंगा दियौ
हा सतयुग छियै कलयुग अऔतै
कलयुगमे नै कोइ मलिया के मानतै
गै मलिया तोड़ल फूल नै चढ़ौतै
हा केना गय पूजा देवता हेतै
देवता नामुआ मैया कलयुग बुततौ गै।।