भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"एक जन्मदिन पर / दुष्यंत कुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दुष्यंत कुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

06:15, 17 अगस्त 2016 के समय का अवतरण

एक घनिष्ठ-सा दिन
आज
एक अजनबी की तरह
पास से निकल गया

एक और सोते सा सूख गया!
टूट गया एक और बाजू सा!
एक घनिष्ठ सा दिन-
जिसे मैं चुंबनों से रचकर
और कई सार्थक प्रसंगों तक
तुम तक आ सकता था!
मैं जिसको होठों पर रखकर गा सकता था
स्वरों में नहीं पकड़ आया
गरम-गरम बालू-सा फिसल गया!

मटमैली चादर-सी
बिछी रही सड़कें
और ख़ाली पलंग-सा शहर!

मेरी आँखों में--देखते-देखते
बिना किसी आहट के,
पिछली दशाब्दी का
कैलेण्डर बदल गया!!