भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कौन यहाँ आया था / दुष्यंत कुमार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार=दुष्यंत कुमार | + | |रचनाकार=दुष्यंत कुमार |
+ | |अनुवादक= | ||
+ | |संग्रह=जलते हुए वन का वसन्त / दुष्यंत कुमार | ||
}} | }} | ||
<poem> | <poem> |
06:23, 17 अगस्त 2016 के समय का अवतरण
कौन यहाँ आया था
कौन दिया बाल गया
सूनी घर-देहरी में
ज्योति-सी उजाल गया
पूजा की बेदी पर
गंगाजल भरा कलश
रक्खा था, पर झुक कर
कोई कौतुहलवश
बच्चों की तरह हाथ
डाल कर खंगाल गया
आँखों में तिरा आया
सारा आकाश सहज
नए रंग रँगा थका-
हारा आकाश सहज
पूरा अस्तित्व एक
गेंद-सा उछाल गया
अधरों में राग, आग
अनमनी दिशाओं में
पार्श्व में, प्रसंगों में
व्यक्ति में, विधाओं में
साँस में, शिराओं में
पारा-सा ढाल गया|