"छैला / चक्रधर बहुगुणा" के अवतरणों में अंतर
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चक्रधर बहुगुणा |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
03:11, 6 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
जिकुड़ि<ref>हृदय</ref> धड़क धड़क कदी।
अपणि नी छ बाणी।।
छैला<ref>प्रियतम</ref> की याद करी
उलरिगे<ref>व्याकुल</ref> पराणी<ref>प्राण</ref>।।
पखन जखन सरग<ref>आकाश</ref> गिड़िके
स्यां स्यां के बिजुलि सरके
ढाडु<ref>ओला</ref> पड़ं तड़-तड़ के
रुण झुण के पाणी।।
छैला की याद करी
उलरिगे पराणी।।
बीच मुलक देश अहो
कनु कै जी ज्यू त सहो।
की जो क्या ब्यूत<ref>बात</ref> कहो।
छि मैं छवीं<ref>बातें</ref> नि लाणी।।
जिकुड़ि धड़क धड़क कदी।
अपणि नी छ बाणी।।
छैला बणि की उदास,
लैंदी दौं गरम स्वास?
बणिगे तन को कबास<ref>कपास</ref>,
कंदुड़ि<ref>कान</ref> छन बयाणी<ref>गुनगुनाहट होना</ref>।
छैला की याद करी
उलरिगे पराणी।।
हिर-हिर के बथो<ref>हवा</ref> औंद
क्वी नी पर खबर लौंद
कनु कै जी शान्त होंद
पापि यो पराणी?
धड़क धड़क जिकुड़ि कदी
अपणि नी छ बाणी।।
झट अब घर जौलो
इनु इनु वीं भेंट ल्यौलो
मन हे, तू क्यां कु लोलो
करदि काचि<ref>कल्पना, कच्ची बातें</ref> गाणी?
छैला की याद करी
उलरिगे पराणी।।
घर की तू जोत छई
कुल मां उपोत छई
सुन्दर जनु फुलीं जई
छै तु दिल कि राणी।
जिकुड़ि धड़क धड़क कदी
अपणि नी छ बाणी।।
फ्यूली<ref>एक फूल</ref> की कली जनी
क्वां सो स्यो वदन तनी
औंदो हा याद जनी,
तरस दो पराणी।
छैला की याद करी
उलरिगे पराणी।।
डांड्यों<ref>पहाड़ों</ref> बसदी हिलांस<ref>पक्षी</ref>
रुकदो दौं किलै स्वांस
खांदी क्या चुचा, फांस?...