"मोछंग / चक्रधर बहुगुणा" के अवतरणों में अंतर
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चक्रधर बहुगुणा |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
03:12, 6 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
1.
धारमं<ref>एक छोटा सा वाद्य यन्त्र</ref> बैठिकी पूर्ण निश्चिन्त हैवे
आ, सुणौदौं सुणा आज मोछंग कू।
साज मां साज ली, राग मां बाजली
चित्त की क्वो छिपीं आह भी खोलली।
2.
देश का हर्ष मां, दुख मां, प्रेम मां
ईश की भक्ति मां, ठाठ से बाजली।
ताल मां, तान मां, कान मां गूंजली
ई सुणी, चित मां चाह भी सूजली
3.
एक ही गूंज से गूंजलो विश्व यो
देश मां जाग भी, जोश भी फैललो।
मातृ-भाषा भरीं एक या द्वो कड़ी
भाव शृंगार को रूप भी खोलली॥
4.
धार ये, गाड़<ref>नदी</ref> वो, डांडि<ref>पहाड़ी</ref> मैदान से
एक ही भौण<ref>लय</ref> मां ये हुँगारा भरी।
ओर से पोर तैं गाजली, गूंजली
आज मोछंग का गीत-संगीत मां॥
5.
वार की पार की, जोड़ि की तोड़ि की
बात द्वी, की गढ़ी ढंग से बोलली।
ह्वै सक्यो तो भला रांग-साहित्य मां
या रँगाली न क्या आपका चित्तकू?
6.
रोपिकी आश को तार आकाश मां
भाव का झूलना मां झुलाली अभी।
मस्त होली अफ्वी, आपकू तैं रिझै
कल्पना-भावना-का नया राग मां?
7.
ई सुणी जागलो आपका ख्याल मां
जाति को प्यार, औ देश सेवा अभी।
जागला आप ही रोंगटा गात मां
चित्त मां ज्ञान की जोत भी भासली॥