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"छाँछ छोली रौड़ी / गढ़वाली" के अवतरणों में अंतर

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

छाँछ<ref>पट्ठा</ref> छोली<ref>मथना</ref> रौड़ी,
डाँड<ref>चोटी</ref> मा फूल फूल्याँ, आई रितु बौड़ी<ref>लौट</ref>।
खणी<ref>खोदा</ref> जालो च्यूणो,
चार दिन होन्द, मनख्यों क्वू ज्यूणो<ref>जीवन</ref>।
सड़क की धूम,
द्वि दिनक रंदी, प्यारी जवानी की धूम<ref>बहार</ref>।
भेरा<ref>बांध</ref> लीगे भैराक<ref>भेड़</ref>,
द्वि दिन की जवानी प्यारी, बथौं<ref>हवा</ref> सी हराक<ref>झांका</ref>।
पाड़ काटे घास,
सदा नी रंदो प्यारी, यो दिन यो मास
आँगूड़ी का तौया,
सदा नी रंदा प्यारी, पाड़<ref>पहाड़</ref> उन्दू छोया<ref>स्रोत</ref>।
पड़ बैठे गोणी<ref>लंगूर</ref>,
हौर चीज लेणी देणी, ज्वानी<ref>जवानी</ref> फेर न होणी।
लगी जालो तैक,
ज्वानी नो ओणी, मरी जाण हात फट कैक।
गौडी<ref>गाय</ref> को मखन,
दुनियान मरी जाण, क्या लिजाण यखन।
थोड़ी को मकर,
दुनियान मरी जाण धरती अमर।

गंगा जी को औत<ref>भंवर</ref>
तराजू नौ<ref>से</ref> तोलि लैणी, कै कि माया<ref>प्रेम</ref> बौत<ref>अधिक</ref>
खलियाण दाँदो<ref>सीमा</ref>
माया लाँदा तोय मां, तू गंगा को जांदो
राजा जी की राणी
रगडू<ref>बरसाती</ref> नो सूकि जाणा, रई स्यलवाणी<ref>सोत</ref> पाणी
सड़के की ऊँटणी
तेरी मेरी माया सूआ, चूलू<ref>खुबानी</ref> की चटणी
मौली<ref>अंकुरित</ref> जाली दूब
तेरा मन माया लाण, मेरा मन खूब
अंखेड की बूँकू<ref>ऊपरी भाग</ref>
देणी लेणी फूंडो फूको<ref>दफा करो</ref>, मैं माया कू भूकू
झंगोरा की बाल
जवानी भरी, सुरेसी, जैसा गौं का ताल
दाथुड़ा की धार
कखन दीखेणे पंछी, देवता की चार<ref>समान</ref>
दूद की जमुन<ref>जामन</ref>
जनम जनम हूण<ref>रहेंगे</ref>, मूंगा माया को जनम<ref>प्रयत्न</ref>
धरती अमर
तेरी मेरी माया सूआ, लपलप<ref>हिलना</ref> चमर<ref>चंवर</ref>।
हाती बुणी माणी<ref>अनाज नापने का बर्तन</ref>
माया मसूरी मां लाई, दुटली<ref>टूटना</ref> तो जाणी
मंडुआ की धूंसी<ref>भूसा</ref>
अपना जोबन देखो, आफी ह्वैं छे खूसी
चाँदी को बटण<ref>बटन</ref>
तोय कैन किकाये<ref>खिजाना</ref> सूआ, माया को जतन
झंगोरा की धाण
जै कि माथा घनाघोर, आँखियों माँ पैछाण<ref>पहचान</ref>।

शब्दार्थ
<references/>