"मनख्या बाघ / गढ़वाली" के अवतरणों में अंतर
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=गढ़वाली }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
04:51, 6 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
लोगूँ कु खेती कु काम नी होये पूरू<ref>पूरा</ref>,
यो निभागी बाघ होईगे शुरू!
एकी<ref>एक</ref> जागान<ref>जगह से</ref> बल हैकी<ref>दूसरी</ref> जागा जाँद,
जनानी चोरीक नौनोऊँ छ खाँद!
कनो निरभागी यो बाग गीजी<ref>लत पड़ गई</ref>,
हमारी आँखी आँसुन भीजी!
एकी जनानी वैन मारे धाड़ो,
मैं कू बाड़ी पकौण को करे भाड़ो।
तैं को मालिक बवराँदो<ref>बड़बड़ाता</ref> भौत,
ये पापी बागक कब औली मौत?
तै डाँडा का ऐंच दुगड़ी गौऊँ,
तख बुडड़ी मारे वैन गौं का सौऊँ!
तै बागन पकड़े बुडड़ी की गली,
ब्वारी की पकड़ी छै वीं की नली!
खाण दे बुडड़ी की ऐगे खैर,
हम बाग की डर नी औंदा भैर<ref>बाहर</ref>!
तौं द्वारू तैं अब झट लावा,
घमछंदे भायों रोटी खावा!
ऐंसू का साल नी कैकी खैर,
हम बाग की डर नी औंदा भैर!
डरदा-मरदा औंदान वो घर,
विरालों देखीक लगदी छ डर!
रुमसूम्या<ref>शाम</ref> बगत जु कुकर भूक्या,
इना नामी वंधू जु ओबरा<ref>नीचे की मंजिल</ref> लूक्या!
ओबरा लूक्या रऊ-सी<ref>गहरे तालाब</ref> माछा,
पोटगा मा डर का नरसिंह नाच्या!