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"माँ / नीता पोरवाल" के अवतरणों में अंतर

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हुलस कर
बह उठती है
एक मीठी नदी

जब
पुल बन जाती है
माँ
पिता और बच्चे के बीच

हरिया उठता है
उपवन
रेतीले किनारों पर