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आई महबूता जी याद!
1.
सूंहं समुंड में टु/बी हंयमि जिअं
ऊजल रूपु बणियो तन जो तिअं
ऊजलता मां महा मौज जो आनन्द थियो इर्शाद
आई महबूबा जी याद!
2.
निर्मल जंहिंजी दीद प्यारी
दिल में सुख बरसाइण बारी
मेंघु वसियो, गुलज़ार हसियो, थियो बाग़ उजड़ आबाद
आई महबूबा जी याद!
(1943)