भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जहान जी रॻ / हरूमल सदारंगाणी ‘ख़ादिम’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरूमल सदारंगाणी 'ख़ादिम' |अनुवादक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:29, 8 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
कॾहिं-कॾहिं
अची
घर खां
बजार जे मूंहं ते
तकीदो आहियां
बसूं
मोटरूं
ऐं साइकिलियूं
जलूस ऐं सरगस
पियादलनि जा मुंहं...
इन्हीअ तरह
कंदो आहियां सही
जहान जी रॻ।