भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मिली मञूं शुक्राना / हरूमल सदारंगाणी ‘ख़ादिम’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरूमल सदारंगाणी 'ख़ादिम' |अनुवादक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:44, 8 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
मूं आहि मिलायो खीर में पाणी जाम
-गीह मं चर्ॿी
-माखीअ में ॻुडु
-खंडु में चूरो
-माए में मैदो
-मसचिटो कुल्फ़ीअ में
-कणिक में मिट्टी
-चांवरनि में पन्थरियूं
-मिर्चनि में पपीते जा कारा ॿिज
-धाणनि में बू/रो
-मेटु अटे पापड़ में
-कैचप में कदू
-हिंङ में लिॾि...
सभु हाणि हलो, मिली मञूं शुक्राना
केॾो न दयालू आ शंकर भोलो!