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"हमरोॅ भविष्य / मीरा झा" के अवतरणों में अंतर

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02:01, 15 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण

हम्में तेॅ शुरूहै सें प्रचार्है में छियै
सतजुग रहेॅ कि कलजुग,
देवता रहेॅ कि राक्षस
नता रहेॅ कि अभिनेता,
हमरोॅ बिना परकार नै
हमरा सें अखबार भरले रहै छै
संसद रहेॅ कि प्रवचन अस्थल
पचबरसा जोजना या आरक्षण
हमरे नाँव भांजाय केॅ दिन काटि रहलोॅ छै

कहै के देवी छिहौं (यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते...)?
जेनाँ, आँखि के आन्हरोॅ नाम नयनसुख
लक्ष्मीपति भिखारी देखलाँ
यै देवी के नै पुजारी देखलाँ
हमरै कान्हा पेॅ राखि बन्दूक
सभ्भैं छोड़ै छै
ढेंस लगाबै लेॅ हम्में, देश रहेॅ कि परदेश
बेटा के तिलक बढ़ैतै, एकरोॅ माईयै नै मानै छै
पंचोॅ में गछलोॅ बात हमरे नामोॅ पेॅ घुराय लै छै
देवी कही-कही केॅ आयतक फुसलैन्हैं छै
सम्भैं थीसिे देने ऐलोॅ छै
महिला झांसी के रानी हुअेॅ या प्रगतिशील हुअेॅ
आपनोॅ कनियाइन केॅ के नै आगू आनै छै
सब हनुमानोॅ के थोथनोॅ तेॅ एक ओरी सें कारे छै
घोॅर के निरनय में कोय नै एकरा पूछै छै
नोॅ सहज भेलोॅ तेॅ सत्याग्रह करै लेॅ पड़ै छै
लेडीज टॉक, मौगियाही गप्प नै करोॅ
एकरा बातोॅ पेॅ बीहा शादी करभेॅ बुड़िये जैभेॅ
नोॅ मैहना ढोलियै हम्में, हमरोॅ बाते नै, कोय मूल्ये नै

लड़काँ दोकानिहै पेॅ जाय केॅ कपड़ा लेतै
कोय नै लड़की के पसन्दोॅ के
घोघटाही बिहौती किनै छै
जेना लागै छै ई माटी के मुरूते छिकै
एकरा इच्छा के जरूरते नै?
एकरा जनमौं में कासा के थारी नै बजावै छोॅ
एकरोॅ छठ्ठी छेा में कार्ड नै छपाबै छोॅ
आजादी सड़सठ बरसोॅ के भेॅ गेलै
महिला विधेयक लसकले छै
लसकतै नै-निरनय लै बला तेॅ पुरुषे छेकै
हम्में देवी! तोंय देवता नै?
तोंय आदमी छिक्हो,
हमर्हौ आदमिये रहेॅ देॅ

हम्में धर्मपत्नी, तोंय धर्म पति नै?
यही ठाँ बड़का बैमानी भेॅ गेलोॅ छै,
अधर्म के सब दरबाजा तोरा लेॅ खुल्ले छै
तों मनुष्य जात सें बाहर सब कानून सें परे छोॅ
बीहा के सबटा प्रतिज्ञा हमरा लेलोॅ,
तोरा लेली नै छै की?
निम्मन गाछ कीड़ाँ खाय
बकर्है मुर्गा के बलिदान होय छै
बाघ चीता के नै, देवतौं खायलेॅ नै चाहै छै
हमरा लेॅ महिला वर्ष, शतक,
तोोॅ सब बरसे रजिस्टर्ड छै
हमरोॅ कर्त्तव्य हम्में सब की सोचबै
महिला सम्मेलन्हौं में पुरुषे बोलै छै।