"विनय कुमार पाठक / परिचय" के अवतरणों में अंतर
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भाषा एवं साहित्य में 1974 में छत्तीसगढ़ी भाषा विज्ञान मे शोध, शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिन्दी के विभागाध्यक्ष, प्रदेश के शिखर शोध निर्देशक, दो दर्जन शोधार्थियों को छत्तीसगढ़ी भाषा / साहित्य की विभिन्न विधाओं पर पी. एच. डी करवाया, रांची विश्वविद्यालय से इनके व्यक्तित्व कृतित्व में शोधार्थियों द्वारा डी लिट किया गया। इनकी रचनाओं में छत्तीसगढ़ी लोककथा (1970), छत्तीसगढ़ी साहित्य और साहित्यकार (1971, 1975, 1978 तीन संस्करण), एक रुख एकेच शाखा (1981), एकादशी अउ अनचिन्हार (1977), बृजलाल शुक्ल : व्यक्तित्व कृतित्व (1981), कपिलनाथ कश्यप : व्यक्तित्व कृतित्व (1978), छत्तीसगढ़ के स्थाननामों का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन (2000) हैं। इन्हें लोकभाषा शिखर सम्मान, राष्ट्रभाषा लोकभाषा हेतु राष्ट्रीय अर्चना सम्मान, विक्रमशिला विश्वविद्यालय, भागलपुर द्वारा डी.लिट. विद्यासागर, हिन्दी ग्रन्थ अकादमी हैदराबाद की ओर से शब्द सम्राट, सम्पादक रत्न एवं पानीपत हिन्दी अकादमी की ओर से शताब्दी रत्न अलंकरण आदि दिये गये। | भाषा एवं साहित्य में 1974 में छत्तीसगढ़ी भाषा विज्ञान मे शोध, शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिन्दी के विभागाध्यक्ष, प्रदेश के शिखर शोध निर्देशक, दो दर्जन शोधार्थियों को छत्तीसगढ़ी भाषा / साहित्य की विभिन्न विधाओं पर पी. एच. डी करवाया, रांची विश्वविद्यालय से इनके व्यक्तित्व कृतित्व में शोधार्थियों द्वारा डी लिट किया गया। इनकी रचनाओं में छत्तीसगढ़ी लोककथा (1970), छत्तीसगढ़ी साहित्य और साहित्यकार (1971, 1975, 1978 तीन संस्करण), एक रुख एकेच शाखा (1981), एकादशी अउ अनचिन्हार (1977), बृजलाल शुक्ल : व्यक्तित्व कृतित्व (1981), कपिलनाथ कश्यप : व्यक्तित्व कृतित्व (1978), छत्तीसगढ़ के स्थाननामों का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन (2000) हैं। इन्हें लोकभाषा शिखर सम्मान, राष्ट्रभाषा लोकभाषा हेतु राष्ट्रीय अर्चना सम्मान, विक्रमशिला विश्वविद्यालय, भागलपुर द्वारा डी.लिट. विद्यासागर, हिन्दी ग्रन्थ अकादमी हैदराबाद की ओर से शब्द सम्राट, सम्पादक रत्न एवं पानीपत हिन्दी अकादमी की ओर से शताब्दी रत्न अलंकरण आदि दिये गये। | ||
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00:31, 21 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
भाषा एवं साहित्य में 1974 में छत्तीसगढ़ी भाषा विज्ञान मे शोध, शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिन्दी के विभागाध्यक्ष, प्रदेश के शिखर शोध निर्देशक, दो दर्जन शोधार्थियों को छत्तीसगढ़ी भाषा / साहित्य की विभिन्न विधाओं पर पी. एच. डी करवाया, रांची विश्वविद्यालय से इनके व्यक्तित्व कृतित्व में शोधार्थियों द्वारा डी लिट किया गया। इनकी रचनाओं में छत्तीसगढ़ी लोककथा (1970), छत्तीसगढ़ी साहित्य और साहित्यकार (1971, 1975, 1978 तीन संस्करण), एक रुख एकेच शाखा (1981), एकादशी अउ अनचिन्हार (1977), बृजलाल शुक्ल : व्यक्तित्व कृतित्व (1981), कपिलनाथ कश्यप : व्यक्तित्व कृतित्व (1978), छत्तीसगढ़ के स्थाननामों का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन (2000) हैं। इन्हें लोकभाषा शिखर सम्मान, राष्ट्रभाषा लोकभाषा हेतु राष्ट्रीय अर्चना सम्मान, विक्रमशिला विश्वविद्यालय, भागलपुर द्वारा डी.लिट. विद्यासागर, हिन्दी ग्रन्थ अकादमी हैदराबाद की ओर से शब्द सम्राट, सम्पादक रत्न एवं पानीपत हिन्दी अकादमी की ओर से शताब्दी रत्न अलंकरण आदि दिये गये।