भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जलो दीप से / सपना मांगलिक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सपना मांगलिक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
03:55, 21 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
कर्म हमेशा करते रहना
मायूसी का न पहनो गहना
दूर हटेगी गम की काली
जीवन में छाये खुशहाली
जलो दीप से लाओ दीवाली
करो पथ दूजों का आलोकित
देखो होगा मन कितना पुलकित
प्रेम समर्पण की बाती निराली
जले अगर तो मने दीवाली