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"हम सर वाले हैं / प्रमोद तिवारी" के अवतरणों में अंतर

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दुनिया वाले चाकू, छुरी
कटारी रखते हैं
हम सर वाले हैं
पूरी तैयारी रखते हैं

वो देखो सलाम का पला
पत्थर आया है
अभिवादन में हमने अपना
सर सहलाया है
कांटों के संग रहते हैं
फुलवारी रखते हैं

अधरों पर अंगार धरे हैं
फिर भी गाते हैं
लोग बाग बस इतने भर में
ही जल जाते हैं
फिर भी दुआ सलाम
मोहल्लेदारी रखते हैं

मेरी प्यास बड़ी है
सारे सागर छोटे हैं
इसीलिये हम मैखानों से
प्यासे लौटे हैं
पीने और पिलाने में
खुद्दारी रखते हैं
भीड़-भाड़ से हटकर
अपनी राह बनाते हैं,
राह बनाते ही पैरों में
पर लग जाते हैं
इन्हीं परों से सफर सुहाना
जारी रखते हैं