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"खुशबू की जंजीरें पहनी / प्रमोद तिवारी" के अवतरणों में अंतर

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13:01, 23 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

खुशबू की जंजीरें पहनी
फूलों के गहने
दौड़ गये भीतर ही भीतर
चंचल मृग छौने

अकस्मात नदिया की धारा
ठहरी हुई लगी
और तृप्ति की देह
अधर को भीगी रुई लगी
एक छुअन से बंधकर
खुद ही कातर लिए डैने