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"हल की मूठ गहो / शील" के अवतरणों में अंतर

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क्षेत्र क्षीण हो जाए न साथी--
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क्षेत्र क्षीण हो जाए न साथी
 
हल की मूठ गहो!
 
हल की मूठ गहो!
नवोन्मेष को मुखरित स्वर दो,
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          नवोन्मेष को मुखरित स्वर दो,
अभ्यागत आगत को बल दो,
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          अभ्यागत आगत को बल दो,
अंकुर को जल-धूप--
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          अंकुर को जल-धूप
पवन से कह दो, समुद बहो।
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          पवन से कह दो, समुद बहो।
हल की मूठ गहो।
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          हल की मूठ गहो।
क्षेत्र क्षीण हो जाए न साथी--
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क्षेत्र क्षीण हो जाए न साथी
 
हल की मूठ गहो!
 
हल की मूठ गहो!
अगणित कुश-कंटक उग आए,
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          अगणित कुश-कंटक उग आए,
बैलों से बबूल टकराए।
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          बैलों से बबूल टकराए।
ये हैं, कृषि के रोग--
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          ये हैं, कृषि के रोग
बीज के दुश्मन,
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          बीज के दुश्मन,
इन्हें दहो।
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          इन्हें दहो।
हल की मूठ गहो।
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          हल की मूठ गहो।
क्षेत्र क्षीण हो जाए न साथी--
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क्षेत्र क्षीण हो जाए न साथी
 
हल की मूठ गहो!
 
हल की मूठ गहो!
 
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00:58, 29 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

क्षेत्र क्षीण हो जाए न साथी —
हल की मूठ गहो!
           नवोन्मेष को मुखरित स्वर दो,
           अभ्यागत आगत को बल दो,
           अंकुर को जल-धूप —
           पवन से कह दो, समुद बहो।
           हल की मूठ गहो।
क्षेत्र क्षीण हो जाए न साथी —
हल की मूठ गहो!
           अगणित कुश-कंटक उग आए,
           बैलों से बबूल टकराए।
           ये हैं, कृषि के रोग —
           बीज के दुश्मन,
           इन्हें दहो।
           हल की मूठ गहो।
क्षेत्र क्षीण हो जाए न साथी —
हल की मूठ गहो!