भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"धूम-धड़ाम / मीरा हिंगोराणी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीरा हिंगोराणी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:20, 1 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
कन खोले बुद्यो सभु भाई
थियो झंगल में मंगलु,
धूम धड़ाम - धूम धड़ाम।
ॾिसो न्यारो रिछ जो खेलु
हलाए थो पाणीअ ते रेल।
केॾी चतुर चुस्त लोमड़ी
पाए आई शींह जी खोपड़ी।
द्यमे धोॿीअ जो उफ्फरु गॾहु,
सुघिरियो कीन गॾहु जो गॾहु।
शींहु ऐं ॿकरी रहनि प्रेम सां,
वॼायो ॿारो ताड़ी ज़ोर सां।
थियो झंगल में मंगलु आ।