भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"घरु सुहिणो / मीरा हिंगोराणी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीरा हिंगोराणी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:38, 1 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

ॾिसो ही मुहिंजो घरु सुहिणों
भितियूं-छितियूं ऐं दरु सुहिणों।

ॾियो तुलसीअ ते ॿारे अम्मां,
लॻे उहों पघरु सुहिणों।

करे आरती शाम जो ॾाॾी
लॻे थो ॼणु मदंरु सुहिणों।

पढ़े पाठु गीता जो बाबा,
हीऊ संस्कारी दरु सुहिणो।

भलु घुमो देसु-परदेसु
त बि अबाणो घर सुहिणों।
डि-सो मुहिंजो घर सुहिणों।