भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कुड़मी / मीरा हिंगोराणी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीरा हिंगोराणी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:23, 1 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
केॾी महनत करे थो कुड़मी,
सॼो ॾींहु ॻहे थो कुड़मी।
कॾहिं न सुमहे सुख जी निंड,
केॾी कश्कत करे थो कुड़मी।
खाई रुखी-सुखी रोटी,
सभजो पेटुभरे थो कुड़मी।
भुल हुजे तत्ती यां थघी,
खेतनि खे खेड़े थो कुड़मी।
पोखे थो धरतीअ में ॿिजु,
सौग़ात सोन जी ॾे थो कुड़मी।
केॾी महनत करे थो कुड़मी,