भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तेरी यादें / श्वेता राय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्वेता राय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGee...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:45, 1 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

तेरे देश से आई हवायें यादें तेरी लाई हैं

रातों की नीदें हुई गायब
तारे गिनकर कटती रैन
दिन में भी आराम नहीं है
कर जाती संझा बेचैन
विरह से तपते मेरे मन को हौले से सहलाई हैं
तेरे देश से आई हवायें यादें तेरी लाई हैं

कोयल की बोली में लगता
छुपे हुये हैं तेरे स्वर
कंठ से उसके कंठ मिला फिर
गाने लगते मेरे अधर
मुरझाये से मन बगिया में बन बहार ये छाई हैं
तेरे देश से आई हवायें यादें तेरी लाई हैं

प्रीत तुम्हारी धड़कन बनकर
साथ रहे हरदम पल पल
नदियों की लहरों में सरगम
रहती है जैसे कल कल
मरुथल में बदरी की रिमझिम साथ ये अपने लाई हैं
तेरे देश से आई हवायें यादें तेरी लाई हैं...