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"प्रीत का बिरवा / श्वेता राय" के अवतरणों में अंतर
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23:14, 1 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
रोप दिया था प्रीत का बिरवा अपने मन के आँगन में
झूम झूम के लहराये ये अब की बरस के सावन में
प्रेम नाम है इस पौधे का
सुन सखियाँ थी इठलाईं
लगी बताने गुन इसके सुन
मन ही मन मैं हरषाई
सहकर सारी धूप छांव ये बढ़ता जाये हर क्षण में
झूम झूम के लहराये ये अब की बरस के सावन में
नन्हा पौधा बड़ा हुआ यूँ
जैसे सूरज चढ़ता है
भोर लालिमा से संझा तक
रूप अनेको धरता है
नेह लदी सब शाखायें हैं भरे जो खुशियाँ दामन में
झूम झूम के लहराये ये अब की बरस के सावन में
डाल डाल कुसुमित मंजरियाँ
सौरभ का ही दान करे
अंग अंग बहकाये ऐसे
जैसे मद का पान करे
तरसायेगा भ्रमरों को अब रूप रंग लिए यौवन में
झूम झूम के लहराये ये अबकि बरस के सावन में...