भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सूनी शाम / श्वेता राय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्वेता राय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGee...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:17, 2 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

है कैसी ये शाम प्रिये!

दिन तो तप के बीत गया
भरा हुआ मन रीत गया
आस तेरे आने की फिर भी करती हूँ अविराम प्रिये!
है कैसी ये शाम प्रिये!

सुन कर कोयल की ये कूक
हृदय बीच उठती है हूक
कलरव भी अब इन चिड़ियों का देता कब आराम प्रिये!
है कैसी ये शाम प्रिये!

पेड़ों की ये छाँव सघन
दूर करे कब मन की तपन
प्रीत भरा मन जपता हरदम बस तेरा ही नाम प्रिये!
है कैसी ये शाम प्रिये!