भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हुलसित हृदय अपार / श्वेता राय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्वेता राय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGee...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:18, 2 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
धन्य हुई जबसे आये तुम इन नयनो के द्वार
प्रिय! हुलसित हृदय अपार
कुछ को देखा आते जाते
कुछ नैनो को तनिक न भाते
हिय के अम्बर में उड़ते हो तुम ही पंख पसार
प्रिय! हुलसित हृदय अपार
साँसें तेरी धड़कन बनके
भाव जानती सारे मनके
अंतस पट पर तेरी छवि को मैंने लिया उतार
प्रिय! हुलसित हृदय अपार
हुई मैं शापित तब तुम जाकर
आये हो बन देव यहाँ पर
तेरे साथ से पाया मैंने जीवन का आधार
प्रिय! हुलसित हृदय अपार