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कन पिया
पूॼा के अछन कारन पत्थरनि जी
ॾेई नालो
ॾेह में इऩ खे
भॻवन जोः
हीउ राम, गुरु ऐं मोहमद
वञी आश्रमनि
गुल चाढ़हीन
ॿारियुनि धूप अगरिबतियूं
कन न खि़जमत ॾेह ॾेखारींदड़नि जी
ॿाहिरां ओजल ऐं
रखन मन में किनु
थींदा कम न मुंखां इहे
पाखंड नाहे त ॿियो छाहे हीउ?