भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पाँव धोते बच्चे / मनीषा जैन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनीषा जैन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:14, 5 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

रेल की पटरियों सा
लम्बा जीवन
तपता झरता जीवन
पल पल होता क्षीण

कोई देता दिलासा
आयेगी कोई उम्मीद की रेल
सीटी बजा कर करेगी सचेत

माँ से रोटी हाथ में लेकर
पानी भरने जाते बच्चे
पानी में बार-बार
पांव धोते बच्चे

अपना चेहरा पानी में देख
हँसते बच्चे
सफेद झक चेहरा लिए
सिर पर पानी की बाल्टी उठाये
नंगे पैर जाते है स्कूल
फिर
घरों की ओर लौटते बच्चे
क्या कोई उनका स्वागत करने को है
वहाँ?