भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पंजड़ो पहिरियों / लीला मामताणी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीला मामताणी |अनुवादक= |संग्रह=मह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:49, 6 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
आयो अमर लाल अवतारु, अंधड़नि जो आधारु।
1.
नसरपुर में संत रतनराइ, रहियो थे निरवारि।
लुहाणा खत्री ज़ाति हुयसि, देवकी नाले नारि॥
2.
जनमु उॾेरे वरितो उते, पिरह फुटीअ प्रभात।
ॾह सौ सत जो चेटु महीनो, तिथि ॿीज शुक्रवार॥
3.
जनम ॾिहाड़े उभ में थियडा ककर कारा बेशुमार।
बरसी बूंद वसाइण लॻा, चङां सूण चौधार॥
4.
लख लख लीरूं माण्हू ॾेई, थियड़ा थे ॿलिहार।
जणिए तिलक जो राखो थी, बचायाईं हिंदू कारि॥
5.
मायूं, मर्द, ॿुढिड़ा ॿालक, जाधा खुश त अपार।
लाल जा झाटी सभई चओ, झूले झूले लाल॥
उॾेरा झूले, झूले लाल॥