भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अखरु-भूरी / मुकेश तिलोकाणी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश तिलोकाणी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:22, 6 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

अखरु भूरीअ खां पोइ
अलाए छा!

हा, बराबर
थिए पियो, थींदो हलंदो
रामायण
महाभारत
पाठु साहिबु
सत्संगु
कीर्तनु
सुखो ऐं सेसा
गरमु शरबतु
टहिकनु सां गॾु
रड़ियूं
आयोलाल-झूलेलाल
झुमिरि
डोंका
छेॼ
टपिड़ो
भॻतु
अल्लाह मियां-भलो मियां
अखरु भूरीअ खां पोइ
अलाए छा!