भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जोति में झूलण / लक्ष्मण पुरूस्वानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मण पुरूस्वानी |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:16, 6 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

ज्योति में झूलण दिठम जिन्दह पीर खे
नाज आहे मूखे पहिंजींअ तकदीर ते
ज्योती में झूलण दिठम जिन्दह पीर खे

जोतिन वारे लाल खे थी सदु करियां
सदु ॿुधी आयो सॼणु विच सीर ते
ज्योति में झूलण दिठम जिन्दह पीर खे

दिल घुरियो दर्शन मिले थो भाॻ सां
गुल चाढ़िया थो मां तुहिजी तस्वीर ते
जोति में झूलण दिठम जिन्दह पीर खे

लेखा ”लक्षमण“ जा लटे छद लाल तूं
अखो पाया थो मां अची जिन्दहपीर ते
जोति में झूलण दिठम जिन्दहपीर खे
नाज आहे मूखे पहिंजींअ तकदीर ते