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"अन्धेरो वञें / लक्ष्मण पुरूस्वानी" के अवतरणों में अंतर

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अञां रोशनी करि, अन्धेरो वञें
खणी ॿारि दिअड़ा, अन्धेरो वञें

अकेले मुसाफ़िर खे साथी खपे
रहिबरु हुजे गदु अन्धेरो वञें

मन जा दरियूं-दर जे खोले रखीं
ही पर्दा परे करि अन्धेरो वञें

खोले बि रखु तूं दिल जूं अखियूं
नज़र करि मथे तूं अन्धेरो वञें

अकुल खां वठे, कमु जे इन्सान को
त ख्यालनि जो खाली अन्धेरो वञें

रस्तो बि मिलन्दो, हुजे हौसिंलो
करे दिसु कर्म कुझु अन्धेरो वञें

मिले यारु ‘लक्षमण’ बणी हमसफर
सॼी जिन्दगीअ जो अन्धेरो वञें