भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सोचु / लक्ष्मण पुरूस्वानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मण पुरूस्वानी |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:28, 6 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

एतिरो बि दिल न दुखाइजे
कहिड़ी खबर हीअ आखिरी घड़ी हुजे

मौत जो बि कहिड़ो भरिवसो
अल्हाए जे कंहिं मोड़ ते बीठो हुजे

मां बि न मुहिंजो आवाज़ बि न
सिर्फ ऊंधारा ई ऊंधारा हुन पासे

मूं जहिड़ो, कोई न मिलन्दई
दुनियां चाहे केतिरी बि वदी हुजे

मूंसा रुसी करे वञंण वारा
थोरो बीहु ऐं सोच

मुहिंजे हिन रुखनि लफ़जनि में बि
शायद प्यार जी का कड़ी हुजे