भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हार जीत / देवी नांगरानी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवी नांगरानी |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:22, 12 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
रिश्तों रवायतों की जंग
कहाँ आसान है
अपनों की हार में
अपनी ही हार है