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"आलू / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर

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17:43, 15 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

बारह महीने मेरी पूछ रहती।
ये दुनिया मुझे प्यार से आलू कहती।

पराँठे बनाओ, समोसे बनाओ।
टिक्की बनाओ या डोसे बनाओ।
जरूरत मेरी इन सभी में है रहती।
ये दुनिया मुझे प्यार से आलू कहती।

पहाड़ों पे मैं हूँ, मैं मैदान में हूँ।
मैं नमकीन, और मीठे पकवान में हूँ।
मैं धरती का बेटा, मेरा माँ है धरती।
ये दुनिया मुझे प्यार से आलू कहती।