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"बातें बड़ी-बड़ी / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर
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जहाँ लिखा-पार्किंग मना है
वहाँ गाड़ियाँ खड़ी हुई हैं।
फुटपाथों पर तरह-तरह की
चीजें बिखरी पड़ी हुई हैं।
कहीं खड़े हैं टू-व्हीलर,
तो कहीं रेडियों का जमघट है।
कहीं खुले हैं मेनहोल
सीवर के, कहीं पशु-संकट है।
कहीं भरा है पानी, कीचड़,
कहीं रास्ता खुदा हुआ है।
आपाधापी में जैसे
हर काम हमारा रुका हुआ है।
बड़े शहर के बड़े लोग बस
बातें बड़ी-बड़ी करते हैं।
हम छोटों की तरह कभी पर
मेहनत नहीं कड़ी करते हैं।