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फिर आया पानी का मौसम।
तेज फुहारों में इठलाएँ
जी भर भीगें, खूब नहाएँ,
पानी में फिर नाव चलाएँ-
आया शैतानी का मौसम!
ठंडी-ठंडी चली हवाएँ
छेड़ें किस्से, मधुर कथाएँ,
कानों में रस घोल रहा है-
कथा-कहानी का मौसम!
अंबर ने धरती को सींचा
हरी घास का बिछा गलीचा,
कुहू-कुहू के संग आ पहुँचा-
कोयल रानी का मौसम!
जामुन, आम, पपीते मीठे
खरबूजे लाया मिसरी से,
गरम पकौड़े, चाय-समोसे-
संग-संग गुड़धानी का मौसम!
छतरी लेकर सैर करें अब
मन में फिर से जोश भरें अब,
लहर-लहर लहरों से खेलें-
आया मनमानी का मौसम!