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"वह कविता रच जाओ / प्रकाश मनु" के अवतरणों में अंतर

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15:45, 16 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

नहीं कभी घबराओ, तुम
नहीं कभी झुँझलाओ तुम,
एक नई दुनिया रचने को
आगे कदम बढ़ाओ तुम!

हँसते-गाते काम करो
मुश्किल को आसान करो,
चलो जरा घूमें-घामें-
आलस दूर भगाओ तुम!

आगे जो बढ़ते जाते
सच्चाई को अपनाते,
उनको दोस्त बनाओ तुम-
उनका साथ निभाओ तुम!

हर दिल में हरियाली हो,
नई सुबह की लाली हो,
ऐसे मीठे सपनों का-
मंडप एक सजाओ तुम!

जिससे मन को राह मिले
सुख की ठंडी छाँह मिले,
नेह-उजाला छलकाती-
वह कविता रच जाओ तुम!