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तीन तिलंगे
बड़े लफंगे
घूम रहे हैं दिल्ली में,
तीन तिलंगे
हर-हर गंगे
घूम रहे हैं दिल्ली में।
पहले लाल किला देखा, अब
बैठ अजी, मोटर में,
गानागाते, मौज उड़ाते
आए चिड़ियाघर में।
खूब खिजाया बंदर को इक
चिड़ियाघर के अंदर,
शेर बबर गुर्राया उन पर
भागे फिर तो थर-थर।
तीन तिलंगे
बिलकुल नंगे,
दौड़े भाई यहाँ-वहाँ,
खूब उड़ी खिल्ली तो घर आ
रोए तीनों अहाँ-अहाँ!