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"कुछ न कहो / शिवबहादुर सिंह भदौरिया" के अवतरणों में अंतर

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इनका सामीप्य
न झेल पाओ
तो हाथ जोड़ लो,
जिधर से आ रहे हों
कतराकर
राह छोड़ दो,
यह भी
पद्मासन पर सोऽहम् बोलते हें,
अपने को
रहस्य में रखकर
सृष्टि का रहस्य खोलते हैं,
जहाँ तक बन पड़े इनको सहो;
कुछ न कहो।