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"फिर धूप खिली / श्रीप्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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12:29, 20 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

फिर धूप खिली, फिर दिन आया
सूरज चमका, जग मुसकाया
फिर रात गई, चंदा डूबा
मिट गया अँधेरा मंसूबा
फिर चिड़ियों ने गुनगुन गाया

फिर रात डराने आई थी
कैसी अँधियारी छाई थी
फिर फूल-फूल ज्यों लहराया

फिर रंगबिरंगा मेला है
फिर भोर खिला अलबेला है
फिर राहों ने जीवन पाया

फिर आसमान में लाली है
सूरज की छटा निराली है
फिर नाच किरन ने दिखलाया
फिर धूप खिली, फिर दिन आया।